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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Saturday 26 March 2016

पद्य - ‍१७५ - सूरा आ फाड़ा (बाल कविता)

सूरा आ फाड़ा (बाल कविता)



गहूमक संग देखू  “सूरा”  पिसाइत छै ।*
फोकला बना कऽ गहूम खा जाइत छै ।।

देखियौ,  ई जीव केहेन असञ्जाइत छै !
एकरा पानि ने  मिसियो सोहाइत छै ।।*

गहूमहि टा नञि,  आनहु जजाइत छै ।*
जेहने अन्न रूचए, तेहने  प्रजाइत छै ।।**

चाउर, मकई सभ  सेहो खा जाइत छै ।
धानक सूराकेँ  उड़बा लए  पाँइख छै ।।*

धानक सूरा - वयस्क  भऽ जाइत छै ।
पाँइख जन्मै छै  फाड़ा कहाइत छै ।।**

उपजल अन्नक करइत बड़ नाश छै ।
भेटैछ दबाइ आब तेँ किछु उसास छै ।।*


संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - मैथिलीक ई एकटा पुरान कहबी थिक जाहिमे सूरा आ ओकर बासस्थानक चर्च अछि ।

* - सूरा छेँ जे पानि नञि पिबैत छेँ − मैथिलीक दोसर पुरान कहबी । वास्तवमे सूरा कहियो पानि नञि पिबैत अछि । शरीरमे भोजनक चयापचय क्रियासँ उत्पन्न पानि (METABOLIC WATER) सूराक जीवन निर्वाहक लेल पर्याप्त होइत अछि ।
* - बहुत लोकसभ लिखल वा टंकित मैथिलीक उच्चारण वा पाठ मैथिली जेकाँ नञि कऽ कऽ हिन्दी जेकाँ करैत छथि । तेँ किछु शब्द सभक मैथिली वर्तनी वा उच्चार स्वरूपकेँ उपरोक्त कवितामे स्थान देल गेल अछि । एहि शब्दसभक लिखबाक सही स्वरूप निम्न अछि - 

क्र॰सं॰
लिखबाक सही स्वरूप
मैथिली उच्चार वा वर्तनी
जजाति
जजाइत
प्रजाति
प्रजाइत
पाँखि
पाँइख

नियमानुसार उपरोक्त सब्द सभक सही स्वरूपहि लिखल जएबाक चाही आ पढ़बा काल उच्चार उपरोक्त प्रकारेँ होयबाक चाही । पर पाठक लोकनिक हिन्दीपरक उच्चार कविताक अभिप्रेत उच्चारकेँ विकृत कऽ सकैत छल तेँ एहि कवितामे सीधा अभिप्रेत उच्चारकेँ स्थान देल गेल अछि ।

* - विभिन्न प्रकारक अन्नमे सूराक विभिन्न प्रकार (प्रजाति) लागैत अछि । 

*- धानमे लागए बला सूराकेँ वयस्कावस्थामे पाँखि जनमि जाइत अछि आ तेँ ओ उड़ि सकैत अछि । एहि उड़ए बला सूराकेँ मैथिलीमे फारा (फाड़ा) कहल जाइत अछि ।
·        फारा या फाड़ा - धानमे लागए बला सूरा ।
·        फाँरा या फाँड़ा - अँचार बनएबाक लेल काटल आमक (प्रायः लम्बवत काटल गेल) टुकड़ी ।

*- उपजाक भण्डारण काल ई अन्नक बहुत नाश करैत अछि । यद्यपि एखन सूरा मारबाक बहुत रास दबाई (गोली आ पाउडर) बजारमे उपलब्ध छै जाहिसँ किछु उसास भेल छै तथापि एखनहु ओ उपजल अन्नक बहुत नाश करैत अछि ।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍198म अंक (‍15 मार्च 2016) (वर्ष 9, मास 99, अंक ‍198) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



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