Pages

मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

Powered By Blogger

Saturday 4 June 2016

पद्य - ‍१८६ - शिकरा या सिकरा (बाल कविता)

शिकरा या सिकरा (बाल कविता)




शिकरा छी एक बाजक रूप ।*
सिकरा लीखथि बहुतो भूप ।।*

पाँखि छोट  ओ  गोलाकार ।
छोट चिड़ै आ आन शिकार ।।

बगरा ओक्कर प्रिय शिकार ।
बेङ्ग आदि छै सेहो आहार ।।*

उज्जर रंगक पेट आ छाती ।
ताहि पर कत्थी रंगक धारी ।।*

नर-शिकरा केर लाले आँखि ।
स्त्री-शिकराक  पिउरा आँखि ।।*





संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - शिकरा एक प्रकारक बाज अछि ।

* - शिकरा शब्दक निस्पत्ति शिकार शब्दसँ भेल अछि । मैथिलीमे किछु लोक शिकराकेँ सिकरा लिखैत छथि पर शिकारकेँ सिकार एखन धरि नञि लिखल जाइत अछि ।

* - छोट चिड़ै − विशेष कऽ बगरा (SPARROW) − शिकराक सभसँ प्रिय शिकार थिक । ओना आनहु छोट चिड़ैसभ, छोट सरिसृप (REPTILES, जेना कि - गिरगिट आदि) आ छोट उभयचर (AMPHIBIANS, जेना कि - बेङ्ग, भेंक आदि) वर्गक प्राणी आदि शिकराक शिकार बनैत अछि ।

* - दुहु लिङ्गक शिकराक वक्षोदर भाग (VENTRAL / ANTERIOR PART) उज्जर रंगक होइछ आ ओहि पर भूरा-कत्थी रंगक अड़ीय पट्टी (TRANSVERSE BANDS) रहैछ ।

*- नर शिकरा आँखिक रंग नारंगी वा लाल होइत अछि जखनि कि स्त्री-शिकराक आँखिक रंग पिउरा ।



मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍203म अंक (‍01 जून 2016) (वर्ष 9, मास 102, अंक ‍203) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।




No comments:

Post a Comment