Pages

मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

Powered By Blogger

Friday 30 September 2016

पद्य - ‍२‍१३ - बाघ (बाल कविता)

बाघ (बाल कविता)




राजा मरि गेल,  राज तँऽ अछिए ।
सिंह मूइल सनि, बाघ तँऽ अछिए ।
जाहि जंगलमे सिंह अलोपित,  ताहि ठाँ राजा  बाघ तँऽ अछिए ।।*‍१

सिंहक छल साम्राज्य विश्व भरि ।
कहियो ओतबा नञि छल बाघक ।
सत्ता पलटल, सिंह बिलटि गेल, बिलटल तइयो बाघ तँऽ अछिए ।।*

सभसँ  पैघ  बिलाड़ि  बाघ छी ।
तदनन्तर  सिंहक  अछि पदवी ।
पर जे हो,  सौंसे  जंगलमे,  मार्यारक  साम्राज्य  तँऽ  अछिए ।।

भारत,   दच्छिन−पूब  एसिया ।
हिन्द-पड़ोसी   आ  साइबेरिया ।
एसियाक ओ मात्र धरोहरि,  दुनिञा भरिमे  धाख तँऽ  अछिए ।।*

चामक रंग छै  लाल - नारंगी ।
ताहि पर  कारी - कारी पट्टी ।
पेट, गाल, नाङ्गरि छी उज्जर; कारी धारीक छाप तँऽ अछिए ।।

जे  कहबैछ   बंगालक  बाघ ।
छी  पूरा  भारत  केर  बाघ ।
अंग्रेजक देल नाम ई भ्रामक,  ऊघैत एखनहु  बाघ तँऽ अछिए ।।*

नगर वाल्मीकि भारत केर छी ।
चितवन - परसा नेपालक छी ।
पछबारी मिथिला गण्डक तट, एखनहु शोभित बाघ तँऽ अछिए ।।*

सभ  बिलाड़िकेँ  पानिक डऽर ।
एकरा  तक्कर  डऽर ने भऽर ।
सुन्दरवन गंगा - तिमुहानी,  दलदल तइयो  बाघ तँऽ अछिए ।।*








संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - पहिने समस्त भारतवर्षमे सिंहक साम्राज्य छल । एक्कहि जंगलमे सिंह (LION, Panthera leo) आ बाघ (TIGER/TIGRE, Panthera tigris) दूनू रहैत छल आ ताहि समएमे सिंहकेँ जंगलक राजा कहल जाइत छल । धीरे - धीरे शिकारक कारण सिंहक संख्या बहुत तेजीसँ घटल । घटल तँऽ बाघक संख्या सेहो, मुदा सिंह अपेक्षा कम तेजीसँ । आ जाहि ठाम सिंह अलोपित भऽ गेल ताहि जंगलक राजा बाघकेँ कहल जाए लागल ।

अछिअहि = (अछिअ ++ ह) = (अछिए + ह) = (अछिए + ……… ह केर लोप) = अछिए

* - बहुत पहिने सिंहक साम्राज्य बाघक तुलनामे बहुत विस्तृत छल । सिंह पहिने सम्पुर्ण भारतवर्षक जंगलमे पर्याप्त मात्रामे (सम्भवतः बाघसँ बेसी मात्रामे) छल ।  समय बदलल, परिस्थिति उनटि गेल आ आब गुजरातक गिरिवनकेँ छाड़ि सिंह समूचा भारतक जंगलसँ अलोपित भऽ गेल । सिंहक तुलनामे बाघक स्थिति भारतमे बहुत बेसी नीक अछि । आ सिंहक अनुपस्थितिमे बाघहि जंगलक राजा भेल ।

* - बाघ प्राकृतिक रूपसँ मात्र एसिया महादेशमे भेटैत अछि । भारतक संगहि भारतक पड़ोसी देशसभ, आन दच्छिन-पूब एसियाक देशसभ आ रूसक साइबेरिया प्रदेशक दच्छिन-पूब भागमे भेटैत अछि । तेँ ओ खास तँऽ अछिए ।

* ईस्ट इण्डिया कम्पनीक बंगाल स्टेटमे ताहि समय आजुक पच्छिम बंगालक अतिरिक्त बिहार (मिथिला सहित), उड़ीसा आ बाङ्ग्ला देश अबैत छल । ओ लोकनि सुन्दरवनमे बाघकेँ देखि कऽ ओकर नाम रॉयल बंगाल टाइगर (ROYAL BENGAL TIGRE) राखि देलन्हि जखनि कि ताहि समयमे बाघ समस्त अविभाजित भारतक जंगलसभमे सामान्य रूपसँ भेटैत छल । ताहि समय अपना दिशि भेटए बला बहुत रास जीव-जन्तु ओ गाछ-बिरिछक नाम बंगालक नामसँ राखि देल गेल जे भ्रामक छल आ अछि । तहिना ई बाघ सेहो । कोनहु जैववैज्ञानिक नाँओमे जञो बेंगालेन्सिस (bengalensis / benghalensis) प्रत्यय जुड़ल होअए तँऽ बेसी सम्भावना जे ओ जैव-जाति वा प्रजाति अपना दिशि सेहो सामान्य रूपसँ भेटैत होयत ।

*मिथिलाक पछबारी सीमा पर गण्डकक तट पर अवस्थित जंगलसभमे एखनहु बाघकेँ देखल जा सकैत अछि । पच्छिम चम्पारणक वाल्मीकि राष्ट्रिय उद्यान (VALMIKI NATIONAL PARK & WILDLIFE SANCTUARY) केर वाल्मीकि बाघ रिजर्व (VALMIKI TIGER RESERVE / VTR) भारतमे बाघक प्रमुख प्राकृतिक आवास क्षेत्रमेसँ एक अछि । एकरहि ठीक उत्तर भऽर नेपालक सीमामे अवस्थित चितवन राष्ट्रिय निकुञ्ज (CHITWAN NATIONAL PARK) आओर पर्सा वन्यजन्तु आरक्ष (PARSA WILDLIFE RESERVE) सेहो बाघक प्राकृतिक आवास क्षेत्र अछि । एहिमेसँ चितवन राष्ट्रिय निकुञ्जकेँ युनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व सम्पदा क्षेत्र (WORLD HERITAGE SITE) केर श्रेणीमे सम्मिलित कएल गेल अछि । वास्तवमे ई तीनू वन्य क्षेत्र मीलि कऽ एक गोट बाघ आरक्ष एकाई केर रचना करैछ जकरा चितवन-पर्सा-वाल्मीकि बाघ आरक्ष एकाई (CHITWAN-PARSA-VALMIKI TIGER CONSERVATION UNIT or CPV-TCU) कहल जाइत अछि ।

*- बिलाड़ि कुलक आन सदस्य सभकेँ पानिसँ बड़ डऽर होइत अछितीतल बिलाड़ि - एक गोट प्रशिद्ध कहबी छै । मुदा बाघजगुआर एहेन सदस्य अछि जकरा पानिसँ डऽर - भऽर नञि होइत छै । ई दूनू पानिमे बहुत दूर धरि आ बहुत काल धरि हेलि सकैत अछि । तेँ बाघकेँ सुन्दरवन सनि तिमुहानी(DELTA) दलदली क्षेत्रमे सेहो कोनहु असौकर्य नञि होइत छै ।




मैथिलीमे बग्घो शब्द बाघक काव्यात्मक या दुलारक नाँओ थिक ।



मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍210म अंक (‍15 सितम्बर 2016) (वर्ष 9, मास 105, अंक ‍210) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।




पद्य - ‍२‍१२ - तेन्दुआ या तेनुआ (बाल कविता)

तेन्दुआ या तेनुआ (बाल कविता)




किछु-किछु बाघहि सनि लगैत छै,
किछु मिलैत अछि चीतासँ ।
पानिमे बाघहि सनि  हेलैत अछि,
रंग मिलैत अछि  चीतासँ ।।

चित्रकाय छै  चीतहि  सनि, मुदा
करिया धब्बा  गोल ने छै ।*‍१
गाछ  चढ़एमे   बहुतहि  माहिर,
पैघ बिलाड़िमे जोड़ ने छै ।।*

गाछ चढ़ैछ  झट  मूँहमे  धएने,
मूइल  बहुत भारी शिकार ।
छीनि सकैछ ने  बाँटि सकैतछि,
आन केओ मूहँक आहार ।।

गाछक मोटका डाढ़ि पर बैसल,
भक्षण करैछ शिकार ओ ।
दिनभरि सूतल रहइछ ओहि ठाँ,
उतरैछ साँझ अन्हार ओ ।।

बाघ - सिंह - चीतासँ  छोट छै,
लागैत छै  जगुआर जेकाँ ।
एक जँ रहितए  दुहु टा  दुनिञा,
अलग फेर जगुआर कहाँ !! *

तेनुआ भेटैछ एसिया - अफ्रिका,
विविध क्षेत्र - जलवायुमे ।
बारल छै  बस क्षेत्र विषम अति,
मरू - हिम जलवायु जे ।।

हिम-तेनुआ अलगहि छी प्राणी,
भेटैछ  ऊँच  पहाड़  पर ।*
ओतबहि अलग ओ छी तेनुआसँ,
जतबा चीता - बाघसभ ।।



संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - प्राचीन संस्कृतक चित्रकः वा चित्रकायः शब्दमे आजुक चीता सेहो आबैत छल आ तेन्दुआ या तेनुआ सेहो । किछु लोक संस्कृतक तरक्षुः शब्दसँ तेन्दुआ मानैत छथि पर तरक्षुः चीता आ बाघ आदि लेल सेहो आयल अछि । हिन्दीमे सेहो तेन्दुआ शब्दक आगमनक श्रोत स्पष्ट नञि अछि; सम्भवतः कोनहु जनजातीय भाषा वा बोलीसँ आयल छल आ ओतहिसँ मैथिलीमे सेहो आयल । मैथिलीमे तेन्दुआ शब्द यथावत प्रयुक्त होइत अछि जकर उच्चार भेद (PHOENETIC VARIANT) तेनुआसेहो अछि । 


* - तेन्दुआ गाछ पर चढ़बामे बड्ड माहिर होइत अछि । ओ शिकार कएलाक बाद ओहि शिकारक लहाशकेँ अपन मूँहमे दाबि आसानीसँ गाछ पर चढ़ि जाइत अछि । एहि प्रकारेँ ओ अपन भोजनकेँ आन प्रतिद्वन्दी शिकारीसभसँ (जेना कि - बाघ, सिंह, चीता आदिसँ) सुरक्षित कऽ लैत अछि ।





* - पैघ बिलाड़िसभमे तेन्दुआक अतिरिक्त मात्र जगुआर गाछ पर चढ़ि पाबैत अछि । जँ पुरना आ नबका दुनिञा कोनहु स्थल मार्ग द्वारा परस्पर जुड़ल रहैत तँऽ सम्भवतः तेन्दुआ ओ जगुआर अलग - अलग प्राणीक रूपमे नञि विकसित भेल रहैत ।

* - हिम तेन्दुआ (या हिम तेनुआ) नामक जन्तु तेन्दुआ (या तेनुआ) केर कोनहु प्रजाति नञि छी अपितु एक गोट स्वतन्त्र मांसुभक्षी जन्तु छी । ओहि दूनूमे ओतबहि अन्तर अछि जतबा कि तेन्दुआ ओ आन पैघ बिलाड़ि (बाघ, सिंह, जगुआर, चीता) सभमे अछि । हिम तेन्दुआ (Eng. - SNOW LEOPARD / OUNCE) (Bio. Name - Panthera uncia syn. Uncia uncia) भारतमे मात्र हिमालय पर्वत श्रेणीक 3000 मीटर सँ 4,500 मीटर (9,800 फीट सँ 14,800 फीट) केर ऊँचाई धरि भेटैत अछि । भारतक अतिरिक्त प्राकृतिक रूप सँ ओ नेपाल, भूटान, चीन, मंगोलिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गीस्तान, ताज़िकिस्तान आ उजबेकिस्तान देशमे पाओल जाइत अछि ।




मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍210म अंक (‍15 सितम्बर 2016) (वर्ष 9, मास 105, अंक ‍210) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।




Thursday 29 September 2016

पद्य - ‍२‍१‍१ - जगुआर (बाल कविता)

जगुआर (बाल कविता)




जगुआरक  मतलब  नञि  चीता,
ओ तँऽ  आनहि  जीव छी ।
किछु-किछु तेन्दुआ सनि देखबामे,
मुदा ओ आनहि जीव छी ।।*

तेसर   पैघ   बिलाड़ि   अछैतहु,
बहुतहि  ओ  शक्तिशाली ।
छोट  मुदा  सुगठित   काय  छै,
फुर्ती छै  सब पर  भारी ।।

छोट  मुदा  खूब  मोट  पएर छै,
बड़ छै  पएरक  मजगूती ।
मगर - काछुकेँ  चीड़ि  सकैतछि,
दाँतक  ततबा  मजगूती ।।*

हरीन आदि प्राणिक बुझलहि अछि,
पैघ बिलाड़ि शिकार करैछ ।
साँप - मगर - कछुआ सरिसृप जे,
तकरहु ने जगुआर छोड़ैछ ।।*

दिनचर छी,  रातिचर  सेहो  ओ,
जखन मोन, शिकार करैछ ।*
नबका दुनिञा  केर  बासी  अछि,
दच्छिन-माँझ विहार करैछ ।।*

तेन्दुआ आओर बिलाड़ि जेकाँ ओ,
आसानीसँ  गाछ   चढ़ैछ ।
पानि हेलि कऽ  ओ बाघहि सनि,
नदी - धारकेँ  पार करैछ ।।

जगुआरेट आमेजन  घाटीक,
भाषा   केर   छी   शब्द ।
तकरहिसँ जगुआर बनल अछि,
अंग्रेजीक   नञि    शब्द ।।*

अहँसभकेँ जँ फुरए नऽव किछु,
कही    मैथिली     नाम ।
ता धरि जगुआरहि मिथिलामे,
एहि  जीवक  भेल  नाम ।।*




संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - आइ - काल्हि जगुआर या जैग्युआर (JAGUAR) शब्द श्रव्य ओ दृश्य माध्यम (AUDEOVISUAL MEDIA) पर बेसी चर्चित भऽ गेल अछि आ कतेकहु बेर ओकर भ्रामक अर्थ चीता धिया-पुतसभकेँ बताओल जाइत अछि । मुदा से नञि, चीता ओ जगुआर दूनू दू जन्तु अछि - एकदम भिन्न । चीता पुरना दुनिञाक (एसिया ओ अफ्रिका महादेशक) मूल निवासी अछि जखनि कि जगुआर नबका दुनिञाक (दछिनबारी ओ उतरबारी अमेरिका महादेशक) मूल निवासी । जगुआर सम्पुर्ण दछिनबारी अमेरिका आ उतरबारी अमेरिकाक माँझ ओ दछिनबारी भागक वन्य क्षेत्रमे पाओल जाइत अछि । जगुआर बहुत किछु तेन्दुआ सनि लागैत आछि, मुदा तेन्दुआसँ सेहो भिन्न अछिजगुआरक चाम पर बनल कारी घेरेबाक बीचमे एकटा कारी बुनका रहैत अछि पर, तेनुआमे से नञि । बाँकी, आन अन्तरसभ तँऽ अछिअहि ।

* - जगुआर बिलाड़ि कुलमे (Family - FELIDAE) आकार ओ भारक अनुसारेँ तेसर (क्रमशः बाघ ओ सिंहक बाद) सभसँ पैघ सदस्य अछि मुदा ताहि अनुरूपेँ ओ बहुत शक्तिशाली होइत अछि । बिलाड़ि कुलक आन कोनहु सदस्य मगर ओ काछु केर शिकार नञि करैत अछि मुदा जगुआर अपन शक्तिशाली श्वदन्त दाँत (CANINE TEETH) हन्वास्थिक (MANDIBLE) बलेँ मगरक मजगूत खाल ओ कछुआक मजगूत खोलकेँ चीड़ि दैत अछि

* - बाघ, सिंह आ तेनुआ मुख्यतः रातिचर होइत अछि जखनि कि चीता दिनचर । मुदा जगुआर दिनचर ओ रातिचर दूनू होइत अछि, मतलब कि ओ दिन ओ राति दूनू समय समान रूपेँ शिकार करबामे सक्षम अछि आ शिकार करैत अछि ।

* - अंग्रेजीक जगुआर शब्द आमेजन घाटीक क्षेत्रीय भाषाक शब्द जगुआरेट सँ लेल गेल अछि आ तेँ एहि ठाम मैथिलीमे सेहो हम ओहि शब्दक यथावत प्रयोग कयल अछि । मैथिलीमे जगुआर विदेशज श्रेणीक शब्द भेल ।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍210म अंक (‍15 सितम्बर 2016) (वर्ष 9, मास 105, अंक ‍210) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।