Pages

मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

Powered By Blogger

Sunday 2 October 2016

पद्य - ‍२‍१५ - बिलाड़ि (बाल कविता)

बिलाड़ि (बाल-कविता)
-

बाघक मौसी  कहै छी  जकरा,  तकरहि नाम बिलाड़ि छै ।
एक्कहि कुल केर  जीव दूनू छै,  बहुतहि छोट  बिलाड़ि छै ।।

छोट  ओकर  कद-काठी छै तेँ,  विचरि  रहल  निर्बाध छै ।
पैघ बिलाड़ि जेकाँ ओक्कर नञि, सिकुड़ि रहल साम्राज्य छै ।।

कखनहुँ म्याँउ-म्याँउ बाजैत अछि, खन गुम्हरैत आबाज छै ।
घऽर-आङ्गन  कि  बाध-बोन,  सभठाँ  मार्यारक  राज छै ।।

अपना  मिथिलामे  प्रशिद्ध  बड़,  गोनू झाक बिलाड़ि छै ।*
एतबा कीर्त्ति  जे  कहबी बनि गेल,  गोनू झाक बिलाड़ि छै ।।

मांसुभक्षी  आ  चतुर  शिकारी,  मूसक  करैछ  शिकार  छै ।
माछक  चाट  बहुत छै  ओकरा,  दूधक  सद्यः काल  छै ।।

जतए बिलाड़िक पहुँच असम्भव,  सीक एहेन निर्माण छै ।*
सीक टुटल  तँऽ  भाग बिलाड़िक,  तेँ ई कहबी विधान छै ।।

घर-आङ्गन जे भेटैछ हरदम, सएह कहबैछ बिलाड़ि छै ।
जंगल-झाड़  बिलाड़ि  रहैछ जे,  से तँऽ बन-बिलाड़ि छै ।।*

तेनुआ ओ जगुआर जेकाँ ओ,  गाछ चढ़एमे  माहिर  छै ।
ऊँच भवन ओ गाछ-बिरिछसँ, कूदि जाइछ जग-जाहिर छै ।।*


-



संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - गोनू झाक खिस्साक बिलाड़ि ततेक ने प्रशिद्ध भेल कि ओकरा नाम पर कहबीअहि बनि गेल ।

* - सीक वस्तुतः दूध, दऽही आ माखन आदिकेँ बिलाड़िसँ सुरक्षित रखबाक एकटा सस्ता लेकिन बहुत नीक उपाए छल ।

* - बिलाड़ि वस्तुतः मनुक्खहि केर परिवेशमे रहैत अछि आ जे जंगली परिवेशमे रहैत अछि से बनबिलाड़ि कहबैत अछि । बनबिलाड़िकेँ खटाँसु (उच्चारण - खटाँउस या खटौंस) अथवा खटाँस सेहो कहल जाइत अछि । मुदा खटाँसु या खटाँस शब्दक अन्तर्गत बनबिलाड़िक अतिरिक्त एकटा आन जन्तु सेहो अबैत अछि जकरा अंग्रेजीमे सीवेट (CEVET) कहल जाइत अछि । एकर गुणक आधार पर एकरा मैथिलीमे गन्हबिलाड़ि कहि सकैत छी (हलाँकि मैथिलीमे एकर ई नाँओ प्रचलित नञि अछि) ।

* - बिलाड़ि कुल (Family - FELIDAE) केर मात्र ४ टा सदस्य गाछ पर चढ़बामे माहिर होइत अछि । ओ चारू सदस्य अछि - तेन्दुआ (तेनुआ), जगुआर, बनबिलाड़ि आ स्वयं बिलाड़ि ।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍210म अंक (‍15 सितम्बर 2016) (वर्ष 9, मास 105, अंक ‍210) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।




No comments:

Post a Comment